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Computer Programming Languages in Hindi।। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

Computer Programming Languages in Hindi।। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज


Computer Programming Language

Programming language एक special language होती है जो की computer और उस पर install software समझ सकते है एवं यह unique set of keywords और special syntax को follow करती है जो की computer को instructions देने के लिए काम मे आती है। Computer भाषा का प्रयोग मानव और Computer के बीच संपर्क स्‍थापित करने के लिए किया जाता है।किसी कार्य को करने के लिए Computer भाषा में लिखे गये वाक्‍य को निर्देश कहते है तथा इन निर्देशों के समूह को Program कहते है।

“Computer language are used to develop application programs”

Example –आपको आपके School के Teachers की Attendance को Automatic Maintain करने के लिए किसी Software की जरुरत है तो आप किसी भी Programmer के पास जा कर उनको Request कर सकते है की मेरी ये जरुरत है And इसके लिए मुझे एक Software चाहिए । Programmer किसी भी Best Suitable High Level Programming Language को Use करते हुए आपके लिए Software Design कर देगा। आप उस Software को अपने Computer पर Execute करके अपना Task Automate कर सकते है। इस प्रकार PL को Use करके आप Programs को Create कर सकते है जो की आपकी Machine का Behavior Control कर सकता है। High Language को Machine Code मे Convert करने के लिए एक दूसरे Program जिसको की Compiler Or Interpreter कहते है की जरुरत होती है।

Algorithm

एक Computer Programmer प्रत्‍येक निर्देश को सही तथा क्रमबद्ध रूप से लिखे। किसी भी समस्‍या के समाधान के लिए उपयुक्‍त निर्देशों को एक निश्‍चित क्रमबद्ध तरीके से लिखने की विधी को Algorithm कहते है।

Flow Chart

Algorithm का चित्रीय निरूरण Flow Chart कहलाता है। Flow Chart में हम विभिन्‍न प्रकार के Box का प्रयोग करते है ये Box एक दूसरे से Line के द्वारा जुड़े होते है।प्रयेत्‍क Line पर एक तीर का निशान होता है। जो Process के Flow को दर्शाता है।

Flow Chart Processing Step:-

टर्मिनल (Terminal):- यह अण्डाकार सिंबल है जो process को Start, End और Pause करने के लिए प्रयोग होता है। किसीफ्लोचार्ट में पहला और अंतिम Symbol टर्मिनल ही होता है।

इनपुट/आउअपुट (Input/Output):- यह समानान्तर चतुर्भुज(Parallel quadrilateral)का Symbol है जो इनपुट (Read) या आउटपुट (Print) आदि को show करता है।

प्रक्रिया (Processing):- यह एक Rectangle का सिंबल है जिसमें प्रोसेसिंग के Instructions होते है।

निर्णय (Decision):- इस सिंबल का प्रयोग कंडीशन को शो करने के लिए किया जाता है।

फ्लोलाइन (Flow line):- फ्लो लाइन्स फ्लोचार्ट के फ्लो का डायरेक्शन बताती है,अर्थात फ्लोचार्ट की दिशा बताती है।

कनेक्टर (Connector):- फ्लोचार्ट अगर एक पेज से बडा हो तो उसे अगले पेज पर कनेक्टर की सहायता से जोडा जाता है। पिछले पेज के अंत में अंदर आती लाइन , जबकि अगले पेज के प्रारंभ में बाहर जाती रेखा दिखाई जाती है।


Types of Programming Language

प्रोग्रामिंग भाषा कई है। कुछ को हम समझते है तथा कुछ को केवल कम्प्यूटर ही समझता है। जिन भाषाओ को केवल कम्प्यूटर समझता है वे आमतौर पर निम्नस्तरीय भाषा (Low level Language) कहलाती है तथा जिन भाषाओ को हम समझ सकते है उन्हें उच्चस्तरीय भाषा (High level language) कहते है।


Low Level Language

Computer निम्‍न स्‍तरीय भाषा को समझता है। निम्‍न स्‍तरीय भाषा 0 और 1 अर्थात Binaryअंकों से मिलकर बनती है। निम्‍न स्‍तरीय भाषा में program लिखने के लिए Computer की आंतरिक संरचना का ज्ञान आवश्‍य है। अत: निम्‍न स्‍तरीय भाषा को सीखना व समझना दोनो ही आसान नहीं है। निम्‍न स्‍तरीय भाषा को दो श्रेणियों में बॉटा गया है।
  • मशीन भाषा (Machine Language)
  • असेम्बली भाषा (Assembly Language)

मशीनभाषा(Machine Language)

यह वह भाषा होती है, जो कम्‍प्‍यूटर समझती है। इसे बाइनरी भाषा भी कहा जाता है। इसका प्रयोग प्रथम पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरस में किया गया था। इसमें प्रोग्रामिंग करना कठिन होता है। इसमें लिखे गये प्रोग्राम तीव्र गति से रन होते है। क्‍योंकि इस पर सीधे प्रोसेसिंग की जाती है। इसमें काई भी Translator साफ्टवेयर की आवश्‍यकता नही होती है। इसका आउटपुट भी इसी भाषा में आता है। इसमें प्रोग्रामिंग करना कठिन होता है। इसमें Error Finding कठिन होता है। यह मशीन पर अधारित भाषा होती है।

Advantage:- मशीनी भाषा में लिखे Program के क्रियान्वित होने की गति सर्वाधित होती है क्‍योंकि CPU द्वारा निर्देश directly समझे जाते है।

Disadvantage:- प्रत्‍येक Computer की स्‍वयं की एक मशीनी भाषा होती है अत: एक Computer पर तैयार Program दूसरे पर नहीं चलाया जा सकता एवं मशीनी भाषा में Program लिखना अत्‍यंत कठिन होता है।

असेम्बली भाषा (Assembly Language)

मशीनी भाषा की जटिलता को दूर करने के लिए सन् 1950 में असेम्बली भाषा का उपयोग किये जाने लगा। असेम्बली भाषा का निर्देश अंग्रेजी के शब्दों के रूप में दिए जाते है, जैसे की NOV, ADD, SUB आदि, इसे “Mnemonic Code” (निमोनिक कोड) कहते है।जो प्रोग्राम असेम्बली भाषा में लिखा होता है, उसे मशीन स्तरीय भाषा (Machine level language) में अनुवाद (Translate) करना होता है।ऐसा Translator जो असेम्बली भाषा (Assembly language) को मशीन भाषा (Machine language) में Translate करता है, उसे असेम्बलर (Assembler) कहते है।

हाई लेवल भाषा (High Level Language)

हाई-लेवल भाषा लगभग इंग्लिश भाषा की तरह होता है और इनमें से कुछ भाषा में लिखे program को हम दुसरे कंप्यूटर पर भी चला सकते है । इनमे program को लिखना काफी आसन है और program लीखने में होने बाले गलती को ठीक करना भी आसन है। C,C++,JAVA, COBOL, FORTRAN, PASCAL अदि हाई-लेवल भाषा के उदाहरणहै।

इसके अच्छे बात ये है की इसके Program के Code को बार-बार उपयोग किया जा सकता है

इनके program को बनाना और संभालना दोनो आसन है। लेकिन कंप्यूटर (Computer) सिर्फ बाइनरी भाषा (binary language) ही समझता है इसलिय हाई-लेवल भाषा को पहले मशीन भाषा में बदलता है तब एक्सीक्यूट(execute) होकर Outputदेता है इसलिय इन्हे एक्सीक्यूट(execute) होने में अधिक समय लगता है और ये कंप्यूटर मेमोरी में जगह भी ज्यादा लेता है।


Note: - कुछ लोग C को Middle Level Language भी कहते है उनका तर्क है की C एक हाई-लेवल भाषा की तरह तो है पर ये अच्छी Assembly Language की तरह भी काम करता ही तो ये Middle Level Language है

Fourth Generation Language

ये लगभग इंग्लिश भाषा की तरह ही होते है जिन्हें हम आसानी से पढ और समझ सकते है। इन्हे कुछ लिमिटेड काम करने के लिए बना जाता है इसके उदाहरन है SQL जिन्हें डाटाबेस(Database) से रिलेटेड काम करने के लिए बनाया गया है । इसके अन्य उदहारण है VB, VC++ आदि ।

Fifth Generation Language

यह दौर ऐसा था कंप्यूटर युग का जिसमे कंप्यूटर एक शक्ति के रूप मैं इस्तेमाल किया जाने लगा जैसे कंप्यूटर खुद सोचने लग गया ऐसे समय मैं रोबोट्स का निर्माण हुआ जो मुख्यतः सूचनाओ के विश्लेषण का काम करने लगा जैसे की मानव करता है और निर्णय लेने लगा इसमें प्रयुक्त होने वाली Language को Artificial Intelligence कहा गया और इसमें Prolog& Lisp का बखूबी इस्तेमाल हुआ।

Programming Language Translator

Assembler :- Assembler एक प्रोग्राम है जो Assembly language को machine language में translate करता है| इसके अलावा यह high level language को Machine language में translate करता है यह निमोनिक कोड (Mnemonic Code) जैसे- ADD, NOV, SUB आदि को Binary code में बदलता है|

Interpreter:- Interpreter एक प्रोग्राम होता हैं जो High level language में लिखे Program को Machine Language में बदलने का कार्य करता है Interpreter एक–एक Instruction को बारी-बारी से machine language को Translate करता है।Interpreter Memory में कम स्थान घेरता है क्योकि यह प्रोग्राम की हर लाइन को बारी-बारी से Check करता है और यदि किसी Line में कोई error होती है तो यह तात्काल Error Massage Show करता है और जब तक उस गलती को सुधार नहीं दिया जाता तब तक यह आगे बढने नहीं देता।

Compiler:- Compiler, Source code को Machine code में बदलने का कार्य करता है इसकी कार्य करने की गति (Speed) अधिक होती है और यह Memory में अधिक स्थान घेरता है क्योकि यह एक बार में पूरे प्रोग्राम को Read करता है और यदि कोई Error होती है तो error massage Show करता है।


Programming Language Paradigms


Procedural

Pascal, C, Basic, Fortran जैसी पारम्परिक भाषाएं Procedural Languages के उदाहरण हैं। जिसमें प्रत्येक Statement Computer को कुछ काम करने का आदेश देता है। यानी Procedural Languages Instructions का एक समूह होता है।

Procedural Languages में छोटे Programs के लिये किसी भी अन्य प्रकार के Pattern की आवश्‍यकता नही होती है। Programmer Instructions की List बनाता है और Computer उनके अनुसार काम करता है।


"Procedures, Sequential Execution of code are basic Building Block of Program"


  • FORTRAN (Formula Translating; John Backus, IBM, 1957)
  • ALGOL (Algorithmic Language, 1958)
  • COBOL (Common Business Oriented Language, 1960)
  • BASIC (Beginner's All-Purpose Symbolic Instruction Code, John Kemeny And Thomas Kurtz, Dartmouth, 1964)
  • Pascal (Nicklaus Wirth, 1970)
  • C (Dennis Ritchie, Bell Labs, 1972)


Object-Oriented

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग एक ऐसा मेथड है जिसमे एक सिस्टम को बहुत सारे objects का collection माना जाता है जो की किसी task को complete करने के लिए आपस मे interact करते है। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग मे क्लास और ऑब्जेक्ट्स को कुछ दूसरे features जैसे इनहेरिटेंस, पॉलीमॉरफिस्म, एब्स्ट्रक्शन, एन्काप्सुलेशन के साथ उपयोग करते हुए प्रोग्रामिंग को आसान बनाया जाता है। Objects डाटा पर ऑपरेट होने वाली वो एंटिटी होती है जो की डाटा एंड procedures को encapsulate (या जोड़ती) करती है।

"Program Is Designed Around the Objects Required To Solve the Problem"

  • Smalltalk (Alan Kay, Xerox PARC, 1971)
  • Ada (US Department of Defense, 1975)
  • C++ (Bjarne Stroustrup, Bell Labs, 1983)
  • Java (James Gosling, Sun Microsystem, 1995)
  • C# (Microsoft, 2000)

Non-Procedural Language
  • HTML (Hyper Text Markup Language )
  • JSP (Java Server Page)
  • ASP (Active Server Page)
  • SQL (Structured Query Language )


👉 इन्‍हें भी जाने :-

स्‍यूडो कोड (Pseudo Code) :-किसी कार्य को पूरा करने के लिए साधारण अंग्रेजी भाषा में एक क्रम में लिखे गए निर्देशों के समूह को स्यूडो कोड कहते है। स्यूडो कोड को हम एक Example से समझते है।

कण्‍ट्रोल स्‍ट्रक्‍चर्स (Control Structures) :- ये एक कथन (Statement) या एक से अधिक कथनों का एक समूह है, जो प्रोग्राम में निर्देश के क्रियान्‍वयन का क्रम से पालन कराता है।

लूपिंग (Looping) :- लूपिंग एक प्रकार का कण्‍ट्रोल स्‍ट्रक्‍चर है, जो किसी प्रोग्राम में किसी विशेष स्थिति (Condition) को बार-बार दोहराता है।

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